अहमदाबाद में गुरुवार को हुए भीषण विमान हादसे में मृतकों की पहचान करना बेहद कठिन हो गया है। इस हादसे में 242 लोग सवार थे, जिनमें से 241 की मृत्यु हो गई। विमान जिस इमारत से टकराया, वहां भी कई लोग मारे गए। हादसा इतना भयावह था कि अधिकांश शव बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ऐसे में मृतकों की पहचान डीएनए टेस्ट के जरिए की जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 1000 से अधिक डीएनए परीक्षण किए जाएंगे, जिनकी रिपोर्ट आने में लगभग 72 घंटे लगेंगे।
डीएनए क्या होता है?
डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) हमारे शरीर में मौजूद एक अनुवांशिक कोड है, जो हमें हमारे माता-पिता से प्राप्त होता है। यह हर व्यक्ति की जैविक पहचान होती है। जुड़वा बच्चों को छोड़कर हर इंसान का डीएनए अलग होता है, इसलिए डीएनए टेस्ट से यह निश्चित रूप से पता लगाया जा सकता है कि शव किस व्यक्ति का है।
डीएनए सैंपल कैसे लिए जाते हैं?
मृतकों के डीएनए सैंपल उनके शरीर के बचे हिस्सों से लिए जाते हैं, जैसे:
- हड्डियां
- दांत
- मांसपेशियां
- जड़ से जुड़े बाल
- खून
सैंपल लैब भेजे जाते हैं जहां उनकी तुलना मृतक के परिवार के सदस्यों से ली गई डीएनए प्रोफाइल से की जाती है।
डीएनए टेस्टिंग प्रक्रिया:
1. सैंपल कलेक्शन: मृतक के परिवारजनों या उनके व्यक्तिगत सामान से डीएनए सैंपल लिया जाता है।
2. सैंपल मिलान: लैब में मृतक के डीएनए की तुलना परिवारजनों के डीएनए से की जाती है।
3. पांच चरण की प्रक्रिया:
- निकासी (Extraction): कोशिकाओं से डीएनए अलग करना।
- मात्रा (Quantitation): डीएनए की मात्रा जांचना।
- गुणन (Amplification): डीएनए की प्रतियां बनाना।
- विभाजन (Separation): डीएनए के टुकड़ों को अलग करना।
- विश्लेषण (Analysis): डीएनए का मिलान करना।
कब होता है डीएनए टेस्ट आवश्यक?
- जब शव पूरी तरह जल जाएं या बुरी तरह विकृत हो जाएं।
- जब चेहरा पहचानने योग्य न हो।
- जब एक साथ कई शव मिले हों।
- जब शव दुर्घटना स्थल पर बिखरे हुए या मिले-जुले हों।
डीएनए टेस्ट ऐसी स्थितियों में मृतकों की पहचान का सबसे सटीक और वैज्ञानिक तरीका है, जो परिवार को अंतिम संस्कार करने और न्यायिक प्रक्रिया में सहारा देता है।