300वीं जयंती विशेष | अहिल्याबाई होलकर : त्याग, नेतृत्व और नारी सशक्तिकरण की प्रेरणा

छत्तीसगढ़ में रानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती को एक ऐतिहासिक अवसर के रूप में मनाया जा रहा है। इस मौके पर राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके आदर्शों को वर्तमान सामाजिक परिप्रेक्ष्य से जोड़ने की प्रेरणा दी है।

राजमाता अहिल्याबाई होलकर भारतीय इतिहास की उन विरल शख्सियतों में शुमार हैं, जिन्होंने नारी शक्ति की परिभाषा को अपने कर्म और नेतृत्व से रचा। विधवा जीवन के बाद भी उन्होंने मालवा राज्य को न केवल संभाला, बल्कि एक आदर्श शासन व्यवस्था की मिसाल कायम की।

काशी से द्वारका तक धर्म और संस्कृति की संरक्षिका

अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, अयोध्या, बद्रीनाथ, द्वारका जैसे तीर्थस्थलों का पुनर्निर्माण कर यह साबित किया कि यदि नारी को अवसर मिले, तो वह राष्ट्र और संस्कृति दोनों की संरक्षिका बन सकती है। उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी भारतीय आस्था और गौरव के प्रतीक हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार का प्रण : हर नारी बने आत्मनिर्भर

राज्य की नई सरकार अहिल्याबाई की सोच को धरातल पर उतारने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और कानूनी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में ठोस पहल हो रही है।

महतारी वंदन योजना बनी बदलाव की धुरी

राज्य की चर्चित महतारी वंदन योजना के माध्यम से अब तक करीब 70 लाख महिलाओं को 9788.78 करोड़ रुपये की सहायता राशि वितरित की जा चुकी है। इस योजना के तहत विवाहित, विधवा, तलाकशुदा और परित्यक्ता महिलाओं को प्रतिमाह ₹1000 की आर्थिक सहायता मिल रही है। इससे महिलाओं को आत्मनिर्भरता की नई राह मिली है।

स्वरोजगार और सुरक्षा की दोहरी रणनीति

महिला स्व-सहायता समूहों को आर्थिक आधार देने के लिए सरकार ने स्वरोजगार और कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत की है। इसके साथ ही महिला सुरक्षा के लिए 181 हेल्पलाइन, वन स्टॉप सेंटर, फास्ट ट्रैक कोर्ट, और विधिक सहायता जैसे कदम उठाए गए हैं, ताकि हर महिला निडर जीवन जी सके।

अहिल्याबाई की विरासत, आज की सरकार की प्रेरणा

मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा, “अहिल्याबाई ने जिस समरस, न्यायपूर्ण और सशक्त समाज का स्वप्न देखा था, छत्तीसगढ़ सरकार उसी दिशा में कार्यरत है।” उनका मानना है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सम्मान—इन चार स्तंभों पर टिके नारी समाज के बिना समृद्ध राष्ट्र की कल्पना अधूरी है।

प्रदेशवासियों से आह्वान : बनिए बदलाव का हिस्सा

रानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती को मंत्री ने केवल स्मरण नहीं, बल्कि संकल्प का अवसर बताया। उन्होंने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि वे नारी सशक्तिकरण की इस यात्रा में सहभागी बनें और “नारी शक्ति को राष्ट्र शक्ति” में बदलने कीदिशा में योगदान दें।

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