आज के डिजिटल युग में तकनीक ने बहुत सी समस्याओं का समाधान किया है, लेकिन जब वही तकनीक गलत दिशा में चली जाए, तो वह आम नागरिक के लिए सिरदर्द बन जाती है। ऐसा ही एक अनोखा मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से सामने आया, जहां के एक वाहन मालिक को छत्तीसगढ़ में हुए ट्रैफिक उल्लंघन का ई-चालान थमा दिया गया—जबकि उनकी कार कभी उस राज्य की सीमा में दाखिल ही नहीं हुई!
मुरादाबाद निवासी उस व्यक्ति ने जब चालान की फोटो देखी, तो उसका रंग उड़ गया। चालान में दर्ज गाड़ी का नंबर तो उनका ही था, लेकिन मॉडल, रंग और गाड़ी की पूरी बनावट एकदम अलग थी। यानी कोई उनकी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर का दुरुपयोग कर रहा था। पहले तो उन्होंने इसे तकनीकी गलती समझ कर नज़रअंदाज़ किया, लेकिन जब जुर्माना वसूली की प्रक्रिया शुरू हुई, तो वे सीधे हरकत में आए।
बात जब स्थानीय स्तर पर नहीं सुलझी, तब उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को सीधे पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी गाड़ी कभी छत्तीसगढ़ गई ही नहीं, और ई-चालान पूरी तरह फर्जी है। इसके पीछे या तो सिस्टम की गलती है या किसी ने जानबूझकर उनकी नंबर प्लेट की नकल कर अपराध किया है।
शिकायतकर्ता ने सीएम से अनुरोध किया कि वे इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराएं और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें। साथ ही उन्होंने ट्रैफिक विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिना उचित सत्यापन के चालान जारी करना आम नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि डिजिटल सिस्टम को पूरी तरह परिपक्व बनने में अभी समय है। बिना मानवीय हस्तक्षेप के सिर्फ नंबर स्कैन कर चालान जारी कर देना कई बार निर्दोष लोगों को फंसा सकता है।