देशभर में बढ़ती गर्मी ने बच्चों की सेहत पर खतरे की घंटी बजा दी है। भीषण तापमान के चलते अस्पतालों में गर्मी से जुड़ी बीमारियों के साथ कई बच्चे भर्ती हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए स्कूलों और अभिभावकों को बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी सुझाव जारी किए हैं। मंत्रालय का कहना है कि बच्चों को तेज धूप से बचाना और लगातार हाइड्रेटेड रखना बेहद जरूरी है।
बच्चों की सेहत पर हीटवेव का असर:
बढ़ा हुआ तापमान बच्चों में कई गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। छोटे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली वयस्कों की तुलना में कमजोर होती है, जिससे वे हीटवेव, डिहाइड्रेशन और गर्मी से जुड़ी अन्य बीमारियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में हीट स्ट्रोक जानलेवा हो सकता है। बच्चों में तेज बुखार, चक्कर, उल्टी, सुस्ती, चिड़चिड़ापन और बेहोशी जैसे लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के बचाव के सुझाव:
- स्कूलों में स्वच्छ और ठंडे पेयजल की व्यवस्था करें।
- वाटर कूलर की नियमित सफाई और निगरानी करें।
- कक्षाओं में पर्याप्त वेंटिलेशन या कूलिंग सिस्टम रखें।
- दोपहर 12 से 3 बजे के बीच बाहरी गतिविधियों से बचें।
- बच्चों को बार-बार पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करें।
- हर कुछ समय में घंटी बजाकर पानी पीने की याद दिलाएं।
- बच्चों को गर्मी के लक्षण और प्राथमिक उपचार के बारे में जागरूक करें।
- मूत्र के रंग से शरीर में पानी की कमी का संकेत पहचानना सिखाएं।
डिहाइड्रेशन का बड़ा खतरा:
एक अध्ययन के अनुसार, 6 से 12 वर्ष के 60% बच्चे गर्मी में पर्याप्त पानी नहीं पीते, जिससे डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को रोजाना 2-3 लीटर पानी या अन्य तरल पदार्थ देते रहें।