रायपुर। राजधानी में शुक्रवार को साहित्य प्रेमियों के लिए खास दिन रहा। दिल्ली की साहित्य अकादमी के अध्यक्ष और पदाधिकारी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे तो बात केवल औपचारिकताओं तक नहीं रुकी—राज्य में साहित्यिक क्रांति की नींव रखने जैसी गंभीर चर्चाएं हुईं।
बैठक में दोनों पक्षों ने प्रदेश की सांस्कृतिक और साहित्यिक संभावनाओं को विस्तार देने के उपायों पर मंथन किया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि छत्तीसगढ़ की माटी में रचनात्मकता की अद्भुत क्षमता है, जिसे अब सीमाओं से बाहर ले जाने की जरूरत है।
साहित्य अकादमी अध्यक्ष ने प्रस्ताव रखा कि छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्तर का “लिटरेचर फेस्टिवल” आयोजित किया जाए, जिसमें युवा और वरिष्ठ लेखकों को एक साथ मंच मिले। मुख्यमंत्री ने इस विचार का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार ऐसी सभी पहलों को न केवल समर्थन देगी, बल्कि आगे बढ़कर उनके साथ खड़ी रहेगी।
इस दौरान स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने, स्कूली शिक्षा में साहित्यिक प्रतियोगिताएं शामिल करने और ग्रामीण क्षेत्रों में भी पुस्तक मेलों के आयोजन पर सहमति बनी।
पदाधिकारियों ने जानकारी दी कि अकादमी एक नई योजना ला रही है जिसमें ग्रामीण लेखकों को भी रचनात्मक प्रशिक्षण और प्रकाशन का अवसर मिलेगा।