नई दिल्ली – भारत ने अत्यधिक गरीबी को कम करने के मामले में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। वर्ष 2011-12 में देश की अत्यधिक गरीबी दर जहां 27.1 प्रतिशत थी, वहीं 2022-23 तक यह घटकर मात्र 5.3 प्रतिशत रह गई है। इसका सीधा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं, नीतिगत सुधारों और जन-कल्याणकारी पहलों को दिया जा रहा है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट ने दर्शाई भारत की प्रगति
हाल ही में जारी विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 34.44 करोड़ से घटकर 7.52 करोड़ रह गई है। यह गिरावट 11 वर्षों में 27 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का संकेत देती है।
संशोधित गरीबी रेखा के अनुसार, अब 3 डॉलर प्रतिदिन की सीमा को ध्यान में रखते हुए भारत की गरीबी दर 2022-23 में 5.3 प्रतिशत आंकी गई है। अगर पुराने मापदंड यानी 2.15 डॉलर प्रतिदिन के हिसाब से देखा जाए तो यह दर महज 2.3 प्रतिशत रह गई है।
सरकारी योजनाओं का बड़ा योगदान
गरीबी को कम करने में सरकार की योजनाएं जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, जनधन योजना और आयुष्मान भारत ने निर्णायक भूमिका निभाई है।
डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT), डिजिटल समावेश, और ग्रामीण बुनियादी ढांचे में सुधार ने न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा दिया बल्कि लाभार्थियों तक तेजी से सुविधाएं पहुंचाईं।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सुधार
- ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी दर 18.4% से घटकर 2.8% हुई
- शहरी क्षेत्रों में गरीबी दर 10.7% से घटकर 1.1% पर पहुंची
- ग्रामीण-शहरी अंतर 7.7% से घटकर मात्र 1.7% रह गया
पांच राज्यों ने निभाई प्रमुख भूमिका
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने अत्यधिक गरीबी को कम करने में दो-तिहाई का योगदान दिया है। वर्ष 2011-12 में देश के 65% अत्यंत गरीब लोग इन्हीं राज्यों में थे, लेकिन 2022-23 तक इन राज्यों ने बेहतरीन सुधार दिखाए।