रायपुर।शहर के दो कुख्यात नाम—वीरेंद्र और रोहित—पर इनकम टैक्स विभाग और नगर निगम ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई की। जिनकी पहचान सूदखोरी और दबंगई के लिए होती थी, उनके आलीशान ठिकानों पर एक साथ छापेमारी हुई। सवाल यह उठ रहा है कि क्या ये लोग सिर्फ कर्ज देते थे, या खौफ की पूरी सल्तनत चला रहे थे?
दोनों भाइयों पर आरोप है कि वे जरूरतमंदों को ऊंचे ब्याज पर कर्ज देते थे और जब repayment में देरी होती, तो पिस्टल-रिवॉल्वर निकालकर डराया जाता था।
इनकम टैक्स विभाग को शक है कि इन लोगों के पास बेहिसाब काली कमाई है, जो नकली दस्तावेजों, अवैध प्रॉपर्टी डील और सूदखोरी से जुड़ी हुई है। वहीं नगर निगम की टीम इनके निर्माणों और संपत्तियों की वैधता जांच रही है।
छापे के दौरान मोहल्ले में हड़कंप मच गया। कई पीड़ितों ने बताया कि ये लोग इलाके में अपनी गुंडागर्दी और हथियारों की नुमाइश के लिए कुख्यात थे।
पुलिस अब इनके नेटवर्क में शामिल उन चेहरों की पहचान कर रही है, जो कानूनी संरक्षण या रसूखदार संबंधों के चलते अब तक बचे रहे।
जांच की दिशा में कुछ अहम सवाल:
वीरेंद्र-रोहित की कमाई के असली स्रोत क्या हैं?
किन अफसरों और दलालों की मिलीभगत से इनका नेटवर्क पनपा?
क्या इनके पास वैध हथियार थे या अवैध?
इनकी संपत्तियों के कागजात कितने असली हैं?
और सबसे बड़ा सवाल—कितनों की जिंदगी इन्होंने कर्ज के नाम पर नर्क बना दी?