आमिर खान बोले – ‘लाल सिंह चड्ढा’ की असफलता ने दिया ज़िंदगी का सबसे बड़ा झटका, अब बच्चों की फिल्मों पर फोकस

बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान ने हाल ही में अपनी आगामी फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’ के प्रमोशन के दौरान खुलकर बताया कि उनकी पिछली फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ की असफलता ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। इस फिल्म से उन्हें बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन दर्शकों से उन्हें वो प्यार नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी।

आमिर खान ने बताया कि ‘लाल सिंह चड्ढा’ उनकी पहली ऐसी फिल्म थी, जिसमें उन्होंने दिल से काम किया और उसे पूरी शिद्दत से पसंद भी किया। फिर भी फिल्म फ्लॉप हो गई। उन्होंने कहा, “यह मेरे करियर का ऐसा तमाचा था, जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था।” इस असफलता के बाद वे डिप्रेशन में चले गए थे, लेकिन परिवार और दोस्तों ने उनका पूरा साथ दिया।

परिवार बना सहारा, दोस्तों ने संभाला

आमिर ने बातचीत में बताया कि उनके बेटे जुनैद, बेटी आयरा, पत्नी किरण, बेटे आज़ाद और उनकी मां-अम्मी, बहन निखत और पापा ने इस मुश्किल दौर में उनका मनोबल बढ़ाया। “वे याद दिलाते रहे कि चाहे फिल्म हिट हो या फ्लॉप, वे हमेशा मेरे साथ हैं।”

‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ को लेकर पहले ही अंदेशा था

आमिर खान ने यह भी स्वीकार किया कि ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ को लेकर उन्हें पहले से ही अंदेशा था कि यह फिल्म अच्छा प्रदर्शन नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “फिल्म बनाना एक टीमवर्क है, अगर सभी एकमत न हों तो फिल्म कमजोर हो जाती है।”

डायरेक्शन को माना ‘इमरजेंसी’

आमिर का मानना है कि अब तक जो भी उन्होंने डायरेक्ट किया है वह ‘इमरजेंसी’ की स्थिति में किया गया है। ‘तारे ज़मीन पर’ को डायरेक्ट करना उनकी मजबूरी थी। अब वे दो-तीन साल बाद डायरेक्शन को गंभीरता से लेना चाहते हैं।

सिर्फ सोशल मैसेज नहीं, कहानी में हो जादू

आमिर कहते हैं, “हर फिल्म में सामाजिक संदेश देना मेरा मकसद नहीं। मेरा उद्देश्य एक अच्छी कहानी के माध्यम से दर्शकों को मनोरंजन देना है। हां, अगर उस मनोरंजन में सोचने का ज़रिया मिल जाए, तो मुझे और अच्छा लगता है।”

बच्चों की फिल्मों की कमी पर जताया दुख

आमिर खान ने कहा कि आज बच्चों के लिए बहुत कम फिल्में बनती हैं। ‘तारे ज़मीन पर’ और ‘जो जीता वही सिकंदर’ जैसी फिल्मों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “मैं अब बच्चों के लिए ऐसी फिल्में बनाना चाहता हूं जो उन्हें बेहतर इंसान बना सकें।”

वर्क-लाइफ बैलेंस और वर्किंग मदर्स का सपोर्ट

आमिर अब 8 घंटे की वर्क शिफ्ट को बढ़ावा देते हैं और अपने प्रोडक्शन हाउस में वर्किंग मदर्स के लिए सुविधाएं भी देते हैं। वे मानते हैं कि संतुलन से ही जिंदगी खुशहाल बनती है।

महाभारत पर बनेगी भव्य फिल्म

आमिर का ‘महाभारत’ बनाने का सपना 25 साल पुराना है। वे इसे सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक यज्ञ मानते हैं। उन्होंने कहा, “इस प्रोजेक्ट के लिए विशेष समर्पण और तैयारी चाहिए। मैं सही वक्त का इंतजार कर रहा हूं।”

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