धर्मांतरण के ख़िलाफ़ शास्त्री की हुंकार: बस्तर और जशपुर में कथा, पदयात्रा से होगा सनातन धर्म का शंखनाद

प्रसिद्ध कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में धर्मांतरण के बढ़ते खतरे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत में सबसे ज़्यादा खतरा बस्तर और जशपुर जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में है, जहां भोले-भाले लोगों को बहला-फुसलाकर धर्म बदलवाया जा रहा है। शास्त्री ने इसे राष्ट्र और संस्कृति के लिए गंभीर चुनौती बताया।

उन्होंने कहा कि ये इलाके न सिर्फ धार्मिक रूप से संवेदनशील हैं बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता के लिए भी बेहद अहम हैं। विशेष रूप से जशपुर, जहां एशिया की दूसरी सबसे बड़ी चर्च स्थित है, धर्मांतरण का प्रमुख केंद्र बन चुका है। शास्त्री का कहना है कि वे अब इस चुनौती का सांस्कृतिक और धार्मिक तरीके से मुकाबला करेंगे।

शास्त्री का बड़ा ऐलान: चर्च के सामने कथा, सनातन का शंखनाद

शास्त्री ने कहा कि वे जशपुर में चर्च के ठीक सामने भागवत कथा का आयोजन करेंगे। उनका कहना था कि, “अगर धर्मांतरण खुलेआम हो रहा है तो धर्म की रक्षा के लिए भी हमें खुलकर खड़ा होना पड़ेगा। अब कथा सिर्फ श्रद्धा का माध्यम नहीं, बल्कि संघर्ष और जागरूकता का मंच बनेगी।”

वे जल्द ही बस्तर और जशपुर में कथा आयोजनों की श्रृंखला शुरू करेंगे, जिनका उद्देश्य होगा – सनातन धर्म की रक्षा, जागरूकता फैलाना, और आदिवासी समाज को जोड़ना।

पदयात्रा से जनजागरण अभियान

शास्त्री ने यह भी ऐलान किया कि वे छत्तीसगढ़ में विशाल पदयात्रा निकालेंगे जो गाँव-गाँव, बस्ती-बस्ती तक जाएगी। इस यात्रा का उद्देश्य होगा –

सनातन धर्म के मूल संदेश को पहुंचाना

धर्मांतरण के विरुद्ध जनमत तैयार करना

युवाओं को सनातन संस्कृति से जोड़ना

उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि हर सनातनी जागे। यह सिर्फ धर्म का नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को बचाने का आंदोलन है।”

7 नवंबर से दिल्ली से वृंदावन तक पदयात्रा

शास्त्री ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि 7 नवंबर से वे दिल्ली से वृंदावन तक भी पदयात्रा निकालेंगे। यह यात्रा करीब 180 किलोमीटर लंबी होगी और इसमें देशभर से हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे। इस यात्रा का मकसद भी धर्म जागरण और सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार रहेगा।

धर्मांतरण पर कानून की मांग

शास्त्री ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार धर्मांतरण पर सख्त कानून बनाए और इसका कठोरता से पालन कराए। उन्होंने कहा, “जिस देश में बहुसंख्यक अपने ही धर्म के लिए डर और असुरक्षा महसूस करने लगे, वहां जागना जरूरी है।”

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