बीजापुर में तेंदूपत्ता संकट! जंगल सोया, मजदूरों की मेहनत पर पानी

बस्तर में अब तक सिर्फ 43.62% तेंदूपत्ता संग्रहण

👉 बीजापुर में सबसे कम, केवल 10.2% ही हुआ संग्रहण

👉 करोड़ों की सरकारी योजना पर फिरा पानी

तेंदूपत्ता संग्रहण 2025 के सीजन में बस्तर संभाग का हाल बेहद चिंताजनक है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण बेहद कमजोर रहा है। यहां अब तक मात्र 10.2% संग्रहण ही हो पाया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम है। पूरे बस्तर संभाग की बात करें तो कुल 43.62% तेंदूपत्ते ही अब तक संग्रहित हो सके हैं।

सरकारी एजेंसियों ने 2025 के लिए 5.5 लाख मानक बंडल संग्रह का लक्ष्य तय किया था, लेकिन मई के अंत तक सिर्फ 2.4 लाख बंडल ही जुटाए जा सके हैं। इससे राज्य सरकार की करोड़ों की योजना पर पानी फिर गया है।

कम संग्रहण = बड़ा नुकसान

राज्य सरकार द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। मजदूरों को रोजगार, बोनस, बीमा और दूसरी सुविधाएं दी जाती हैं। इस बार संग्रहण कमजोर रहने से सरकार को सीधा आर्थिक नुकसान तो हुआ ही है, साथ ही हजारों मजदूरों की मेहनत भी व्यर्थ होती दिख रही है।

बीजापुर में हालत सबसे खराब

बस्तर के सभी जिलों में तेंदूपत्ता संग्रहण का हाल इस प्रकार रहा:

बीजापुर – केवल 10.2% संग्रहण, अब तक मात्र 6.31 लाख पत्ते ही जुटे

सुकमा – 72.93%

दंतेवाड़ा – 74.03%

कांकेर – 77.99%

नारायणपुर – 74.91%

कोण्डागांव – 79.99%

बस्तर – 88.17%

दूधेश्वर (महानदी वनमंडल) – 74.4%

सवालों के घेरे में सरकारी व्यवस्था

सरकार ने जंगल समितियों के ज़रिए हर गांव में संग्रहण की योजना बनाई थी, परंतु ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कह रही है। कुछ स्थानों पर समय से मजदूरों को पारिश्रमिक नहीं मिला, तो कहीं मौसम ने रुकावट डाली। नतीजा ये हुआ कि बीजापुर में कई गांवों ने संग्रहण का काम ही बंद कर दिया।

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