खनिज नगरी के रूप में पहचान रखने वाले उकवा नगर के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। बीते दो दशकों से स्थाई डॉक्टर के इंतजार में परेशान इस नगर को आखिरकार एक नियमित चिकित्सक मिल गया है। हाल ही में बिजली के करंट से घायल एक आदिवासी युवक को समय पर इलाज नहीं मिल पाने से हुई मौत ने पूरे नगर को झकझोर कर रख दिया था। इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने उकवा में डॉक्टर और एंबुलेंस की स्थायी व्यवस्था की मांग करते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था।
इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए बालाघाट जिले के संवेदनशील कलेक्टर मृणाल मीणा ने त्वरित निर्णय लिया और अधिकारियों को निर्देशित किया कि उकवा में तुरंत डॉक्टर की नियुक्ति की जाए। कलेक्टर के आदेश के बाद दूसरे ही दिन डॉक्टर दीपक प्रधान को उकवा में नियमित रूप से पदस्थ कर सेवा देने के निर्देश दे दिए गए।
इस फैसले के बाद पूरे नगर में खुशी की लहर दौड़ गई है। चूंकि उकवा से जिला मुख्यालय की दूरी लगभग 45 किलोमीटर है, ऐसे में समय पर इलाज न मिलने के कारण कई लोगों की जानें जा चुकी हैं। अब डॉक्टर की उपस्थिति से न केवल आम बीमारियों का इलाज स्थानीय स्तर पर हो सकेगा, बल्कि बारिश के दिनों में होने वाली मौसमी बीमारियों, सर्पदंश और रेबीज जैसे गंभीर मामलों में भी त्वरित उपचार मिल सकेगा।
आज उकवा के जागरूक युवाओं ने तहसील कार्यालय पहुंचकर नायब तहसीलदार टी. एल. धुर्वे को जिला कलेक्टर मृणाल मीणा के नाम एक आभार पत्र सौंपा और इस सराहनीय पहल के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। साथ ही खंड चिकित्सा अधिकारी वरुण परते का भी जनता ने आभार जताया। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई कि भविष्य में भी इस तरह के जनहितैषी फैसलों में प्रशासन इसी तरह तत्पर रहेगा।
इस अवसर पर नगर के कई युवा, समाजसेवी और वरिष्ठ नागरिक मौजूद रहे। ग्रामीणों की भावनाओं को देखते हुए यह निर्णय न केवल प्रशासनिक संवेदनशीलता का उदाहरण बना, बल्कि स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं को भी मजबूती देने वाला साबित हुआ है।