छत्तीसगढ़ के खरोरा इलाके में सरकारी धान खरीदी केंद्रों में बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां के तीन खरीदी केंद्रों से 1363 क्विंटल धान ग़ायब पाया गया, जिसकी कीमत करीब 10 लाख रुपये बताई जा रही है। जांच रिपोर्ट में खुलासा होने के बावजूद अब तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि गड़बड़ी करने वालों को राजनीतिक संरक्षण तो नहीं मिल रहा?
केंद्र वही, धान गायब!
जिन केंद्रों पर यह गड़बड़ी मिली है, वे हैं खरोरा, कसही और बरबसपुर। अधिकारियों ने जब मौके पर जाकर भौतिक जांच की, तो पता चला कि रजिस्टर में जो स्टॉक दिखाया गया है, वह हकीकत में मौजूद ही नहीं है। ध्यान देने वाली बात यह है कि सारे कागज़ पूरे हैं, पर गोदामों में सिर्फ खाली बोरियां नजर आईं।
किसका है खेल?
सूत्रों की मानें तो यह घोटाला अकेले किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है। इसमें खरीदी केंद्र प्रभारी, सहकारी समिति के कर्मचारी और परिवहन एजेंसी – सभी की मिलीभगत का शक जताया जा रहा है। हर साल धान खरीदी के दौरान होने वाली ये गड़बड़ियां अब जनता को चुभने लगी हैं।
किसानों का दर्द, अफसरों की चुप्पी
इस धांधली का असर सीधे किसानों पर पड़ा है। कई किसानों को अब तक उनकी उपज का भुगतान नहीं मिला, वहीं दूसरी ओर अधिकारी जांच रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल चुके हैं। स्थानीय किसानों और जनप्रतिनिधियों ने दोषियों पर तत्काल कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
जांच पूरी, कार्रवाई अधूरी
जांच दल ने अपनी रिपोर्ट कुछ सप्ताह पहले सौंप दी थी, जिसमें साफ तौर पर गबन का जिक्र है। बावजूद इसके अब तक न कोई एफआईआर, न ही कोई निलंबन। यह चुप्पी बताती है कि मामला ऊपर तक पहुंच चुका है, और दबाव में दबाया जा रहा है।