छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकानों की नहीं हो रही बिक्री, अब बनाए जाएंगे सरकारी आवासीय कॉलोनी

छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड पिछले 10 वर्षों से राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के विभिन्न शहरों में बनाए गए 2651 फ्लैट और मकानों को बेच नहीं पा रहा है। इन संपत्तियों पर लगभग 380 करोड़ रुपये का निवेश अटका हुआ है। बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से बोर्ड ने इन पर 30 प्रतिशत की भारी छूट भी दी, लेकिन इसके बावजूद खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं।

अब हाउसिंग बोर्ड ने रणनीति बदली है। बोर्ड इन मकानों को सरकारी विभागों को रियायती दरों पर देने की योजना बना रहा है। सिंचाई विभाग ने पहल करते हुए बोरिया कला क्षेत्र में 268 से अधिक फ्लैट खरीद लिए हैं, जहाँ अब सरकारी कॉलोनी बसाई जाएगी। इन मकानों का अलॉटमेंट भी कर्मचारियों को कर दिया गया है और रंग-रोगन व साफ-सफाई का कार्य जारी है।

इसके अलावा, पुलिस विभाग से भी पिरदा स्थित मकानों के लिए संपर्क किया गया है। पिरदा के पास चंद्रखुरी में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर होने के कारण बोर्ड को उम्मीद है कि पुलिस विभाग भी न्यूनतम दरों पर मकान खरीद सकता है।

बोर्ड ने बताया कि जिन विभागों को सरकारी मकानों की आवश्यकता है, उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है। सिंचाई विभाग के बाद अब सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) को मकान देने की प्रक्रिया चल रही है।

बोर्ड के प्रमुख प्रोजेक्ट: रायपुर के खारुन ग्रीन्स, अमलताश, कचना, पिरदा, नवा रायपुर सेक्टर 29, बिलासपुर के डूमरतराई फेस 1 और 2, कोरबा के बरबसपुर, परसदा और सड्डू, दुर्ग तालपुरी, भिलाई चिता लंका, और जगदलपुर बोरिया कला समेत कई शहरों में फ्लैट और व्यवसायिक परिसर बनाए गए हैं। नए आयुक्त अवनीश शरण के कार्यभार संभालने के बाद संपत्तियों की बिक्री प्रक्रिया में तेजी आई है।

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