मध्य प्रदेश में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से दिल्ली से भेजे जा रहे 50 वरिष्ठ नेताओं के प्रवास, खानपान और यात्रा खर्चों को लेकर पार्टी के अंदर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस खर्च को किस स्तर पर वहन किया जाएगा – जिला इकाई, राज्य इकाई या स्वयं नेता – इस पर कोई स्पष्ट निर्देश न होने से कार्यकर्ताओं में चिंता का माहौल है।
संभावित खर्च वहन के विकल्प:
स्थानीय जिला इकाइयाँ:
कई कार्यकर्ताओं का मानना है कि सीमित संसाधनों के बीच यदि जिला स्तर पर इन नेताओं के ठहरने, खाने और यात्रा का खर्च उठाना पड़ा, तो कार्यकर्ताओं पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा।
राज्य स्तर पर जिम्मेदारी:
कुछ अन्य सुझाव दे रहे हैं कि इस खर्च की जिम्मेदारी पार्टी की राज्य इकाई को लेनी चाहिए, ताकि संगठनात्मक गतिविधियां बिना बाधा के चल सकें।
नेताओं द्वारा स्वयं खर्च वहन करना:
एक तीसरा मत यह भी है कि दिल्ली से आने वाले नेता अपने प्रवास और यात्रा का खर्च स्वयं उठाएं, ताकि पार्टी के संसाधनों पर दबाव न पड़े।
हाल ही में कांग्रेस नेतृत्व ने जिलाध्यक्षों के साथ बैठक कर संगठन को मजबूत करने और जवाबदेही बढ़ाने पर ज़ोर दिया, लेकिन इन बैठकों में भी प्रवास खर्चों को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश सामने नहीं आए। निवृत्तमान पदाधिकारियों की उदासीनता भी इस असमंजस को और बढ़ा रही है।
यदि पार्टी नेतृत्व इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय और स्पष्टता लाता है, तो इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और संगठन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी।