कानपुर डिफेंस कॉरिडोर: अदाणी समूह ने जमाया सबसे बड़ा दांव, तीन दिग्गज उद्योगपतियों की नजर

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में डिफेंस कॉरिडोर परियोजना ने देशभर के उद्योगपतियों का ध्यान खींचा है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत साढ़ क्षेत्र में बन रहे डिफेंस कॉरिडोर की जमीन पर तीन प्रमुख औद्योगिक समूहों ने कब्जा जमाया है, जिसमें अदाणी समूह सबसे आगे है। सूत्रों के अनुसार, अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस को इस कॉरिडोर में सबसे अधिक 206 हेक्टेयर (लगभग 499 एकड़) जमीन आवंटित की गई है। यह एशिया का सबसे बड़ा एम्यूनेशन कॉम्प्लेक्स विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।अदाणी समूह की पहल:

अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने कानपुर के साढ़ में 500 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैले इस प्रोजेक्ट के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपये का प्रारंभिक निवेश किया है। अगले पांच वर्षों में कुल निवेश 3000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। इस परियोजना के तहत छोटे हथियार, कार्बाइन, पिस्टल, स्नाइपर राइफल्स, और मिसाइलों सहित गोला-बारूद का निर्माण होगा। बताया जा रहा है कि यह यूनिट मार्च 2025 तक उत्पादन शुरू कर सकती है, और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होने की संभावना है।अन्य कंपनियों का योगदान:

अदाणी के अलावा, दो अन्य कंपनियों ने भी इस कॉरिडोर में जमीन हासिल की है। डेटम एडवांस्ड कम्पोजिट्स और जेनसर एयरोस्पेस जैसी कंपनियां क्रमशः अत्याधुनिक ड्रोन और हल्के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट निर्माण की दिशा में काम कर रही हैं। यूपी एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डिवलेपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) ने पहले चरण में 222 हेक्टेयर जमीन आवंटित की थी, जिसमें से 211 हेक्टेयर का आवंटन पूरा हो चुका है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 21 एमओयू साइन किए गए, जिनमें 9729.58 करोड़ रुपये का निवेश और 17,000 लोगों के लिए रोजगार सृजन का लक्ष्य है।कनेक्टिविटी और विकास:

कानपुर डिफेंस कॉरिडोर को दिल्ली-प्रयागराज हाईवे (एनएच-2) से जोड़ने की योजना है, जिसके लिए रमईपुर-जहानाबाद मार्ग को फोरलेन बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस सड़क के लिए भूमि अधिग्रहण और बिजली लाइनों की शिफ्टिंग का काम जल्द शुरू होगा। यह कदम कॉरिडोर की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा, जिससे कच्चा माल और तैयार उत्पादों का परिवहन आसान होगा।विवाद और चुनौतियां:

हालांकि, इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर स्थानीय किसानों में असंतोष है। नर्वल तहसील के गोपालपुर, दौलतपुर और मोहीपुर गांवों में दूसरे चरण के लिए 186.47 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन कई किसान कम मुआवजे का विरोध कर रहे हैं। कुछ किसानों ने हाईकोर्ट का रुख किया है, जिससे परियोजना के विस्तार में देरी की आशंका है।आर्थिक प्रभाव:

इस कॉरिडोर के शुरू होने से कानपुर रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा। यह परियोजना न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी, बल्कि 4000 प्रत्यक्ष और 20,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी। यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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