भारत सरकार ने वर्ष 2025 में हिन्दू राष्ट्रवादी नेता साध्वी ऋतंभरा को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान — पद्म भूषण — से सम्मानित किया है। यह सम्मान उन्हें समाजसेवा के क्षेत्र में उनके दीर्घकालिक योगदान के लिए दिया गया है।
राष्ट्रवादी विचारधारा की प्रतिनिधि
साध्वी ऋतंभरा विश्व हिंदू परिषद की महिला शाखा ‘दुर्गा वाहिनी’ की संस्थापक हैं। वे लंबे समय से हिन्दू राष्ट्रवादी विचारधारा को प्रबल स्वर में अभिव्यक्त करती रही हैं। 1990 के दशक में अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के दौरान उनके भाषणों ने उन्हें एक प्रभावशाली वक्ता और नेता के रूप में स्थापित किया।
वात्सल्य ग्राम की स्थापना
उन्होंने वृंदावन (उत्तर प्रदेश) में ‘वात्सल्य ग्राम’ की स्थापना की — एक ऐसा नवाचारी आश्रम जहाँ अनाथ बच्चे, विधवाएं और वृद्ध महिलाएं एक संयुक्त परिवार की तरह जीवन व्यतीत करते हैं। इस अनोखे सामाजिक मॉडल की पूरे देश में सराहना हुई है।
विवादों से जुड़ा नाम
साध्वी ऋतंभरा का नाम बाबरी मस्जिद विध्वंस (1992) के दौरान प्रमुखता से सामने आया था। उन पर उत्तेजक भाषणों का आरोप लगा, लेकिन सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें 2020 में सभी आरोपों से बरी कर दिया।
पद्म भूषण: सेवा की मान्यता
2025 में मिला पद्म भूषण इस बात का संकेत है कि उनके सेवा कार्यों को देश ने मान्यता दी है, चाहे उनका राजनीतिक व वैचारिक रुख कुछ भी रहा हो। यह सम्मान उनके सामाजिक पुनर्वास कार्यों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन माना जा रहा है।