ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनिया की नजर अब चीन की रणनीति पर है। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीमित संघर्ष को लेकर सवाल यह उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान चीन का मोहरा बनकर भारत से ‘शैडो वॉर’ लड़ रहा था? अमेरिकी खुफिया एजेंसियों से लेकर यूरोपीय थिंक टैंक तक इस घटना की तह में जाने में जुटे हैं।
पाकिस्तान: पुराना प्रॉक्सी, नया आका
भारतीय सेना के पूर्व मेजर जनरल जीडी सिन्हा का मानना है कि पाकिस्तान को प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल करना कोई नई बात नहीं है। पहले अमेरिका के भरोसे अपनी रणनीति चलाने वाला पाकिस्तान अब चीन से हथियार लेकर उसकी रणनीति को अमलीजामा पहनाने लगा है। चीन अब पाकिस्तान को पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट और अत्याधुनिक सैन्य तकनीक दे रहा है।
चीन चाहता था संघर्ष बना रहे
विदेश नीति विश्लेषक रंजीत कुमार के अनुसार, चीन की मंशा थी कि भारत-पाक के बीच संघर्ष जारी रहे। अमेरिका के दबाव में संघर्ष विराम चीन को रास नहीं आया। एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) एनबी सिंह का कहना है कि चीन ने इस ऑपरेशन के जरिए भारत की सैन्य रणनीति, सूचना नेटवर्क और फॉयर पॉवर की ताकत को परखने की कोशिश की।
डोभाल-वांग यी वार्ता से बना संतुलन
जब भारत ने 10 मई को संघर्ष विराम की घोषणा की, तो पाकिस्तान ने ड्रोन के जरिए सीमा पार उल्लंघन किया। बाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष वांग यी की बातचीत के बाद संघर्ष विराम को अमल में लाया गया। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि चीन ने पाकिस्तान के जरिए यह रणनीतिक खेल खेला।
चीन की मंशा पर नजर रख रही दुनिया
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन के लड़ाकू विमान, मिसाइल और रक्षा प्रणाली पहली बार युद्ध जैसी स्थिति में सामने आए। इससे न केवल भारत, बल्कि अमेरिका और यूरोप भी चीन की सैन्य क्षमता को परख रहे हैं। एनबी सिंह के अनुसार, चीन के हथियार अब वैश्विक फॉयर पॉवर मैप में दर्ज हो रहे हैं।
भारत की सीख: भविष्य के लिए तैयारी
6 से 10 मई के बीच हुए घटनाक्रम ने भारत को भी कई सबक दिए हैं। अब रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को अपनी वायु शक्ति, रडार, मिसाइल प्रणाली और हेलीकॉप्टर वॉरफेयर क्षमता को और अधिक उन्नत बनाना होगा। जिससे देश की सुरक्षा, एकता और संप्रभुता को हर मोर्चे पर मजबूती मिल सके।