बैंकिंग सेक्टर में एआई की दस्तक, लेकिन 75% बैंक अब भी तैयार नहीं
बैंकिंग क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक निर्णायक भूमिका निभाने जा रहा है, लेकिन बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की रिपोर्ट के अनुसार, केवल हर चार में से एक बैंक ही इसका फायदा उठा पा रहा है। 2025 तक यह बदलाव बैंकिंग मॉडल को पूरी तरह बदल सकता है।
AI बना बैंकिंग का नया गेम-चेंजर
एआई ने दक्षता, ग्राहक सेवा और राजस्व मॉडल में नई संभावनाएं खोली हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जनरेटिव और एजेंटिक एआई जैसे आधुनिक टूल्स ग्राहकों को बेहतर अनुभव दे रहे हैं और पारंपरिक बैंकिंग ढांचे को चुनौती दे रहे हैं।
परंपरागत ढांचा और संसाधनों की कमी है बड़ी चुनौती
बीसीजी के अनुसार, अधिकांश बैंक तकनीकी आधारभूत संरचना, डेटा प्रबंधन और कुशल पेशेवरों की कमी से जूझ रहे हैं। इसके चलते वे एआई को अपनी रणनीति में पूरी तरह शामिल नहीं कर पा रहे हैं। बैंकों को इस दिशा में न सिर्फ भारी निवेश बल्कि नेतृत्व स्तर पर प्रतिबद्धता भी दिखानी होगी।
एआई टैलेंट की भारी मांग, लेकिन आपूर्ति कम
रिपोर्ट बताती है कि दो-तिहाई बैंक एआई स्किल्स वाले पेशेवरों को नियुक्त करने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा, शीर्ष प्रबंधन को भी एआई की संभावनाओं और उससे जुड़ी जटिलताओं को समझने की जरूरत है।
भारतीय कंपनियों के लिए जेनरेटिव एआई बना नई सुरक्षा चुनौती
एसएंडपी ग्लोबल की 451 रिसर्च टीम और थेल्स की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 70% भारतीय कंपनियों को जनरेटिव एआई से सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताएं हैं। इनमें से 66% कंपनियां डाटा की प्रमाणिकता और 55% भरोसे को लेकर परेशान हैं। जनरेटिव एआई को प्रशिक्षित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले डाटा की जरूरत होती है, जो कंपनियों के लिए चुनौती बन रहा है।
AI के इस दौर में निर्णय लेने की रफ्तार बनी एक और बड़ी कसौटी
थेल्स की रिपोर्ट में बताया गया कि एआई टेक्नोलॉजी इतनी तेजी से बदल रही है कि कंपनियों को बहुत तेज़ी से निर्णय लेने पड़ रहे हैं। सही फैसले और निवेश ही भविष्य में कंपनियों और बैंकों की सफलता तय करेंगे।