भारत में शरण की उम्मीद लेकर आए एक श्रीलंकाई नागरिक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि “भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जहां कोई भी आकर बस जाए।”दरअसल, यह मामला एक श्रीलंकाई नागरिक की उस याचिका से जुड़ा है जिसमें उसने भारत छोड़ने के आदेश को चुनौती दी थी। सरकार ने इस शख्स को भारत से बाहर जाने का आदेश दिया था, लेकिन उसने इसे कोर्ट में चुनौती दी।सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि “देश की सुरक्षा और सीमाओं की गरिमा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता।” कोर्ट का यह रुख साफ संकेत है कि भविष्य में भी अवैध रूप से रहने वालों के खिलाफ सख्ती बरती जाएगी।कोर्ट की टिप्पणी ने इस मुद्दे पर देश में फिर से बहस छेड़ दी है कि भारत की उदार नीतियों का गलत फायदा उठाया जा रहा है।