मुंबई। भारत के नए प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि देश का संविधान सर्वोच्च है और इसके तीनों स्तंभों – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – को एकजुट होकर काम करना चाहिए। महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित अधिवक्ता सम्मेलन और सम्मान समारोह में उन्होंने यह बात कही।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हमारा बुनियादी ढांचा सशक्त है और संविधान की सभी शाखाएँ एक-दूसरे के प्रति आदर बनाए रखें, यह आवश्यक है। कोई भी संस्था संविधान से ऊपर नहीं है।” उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि भारत न केवल आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से आगे बढ़ा है, बल्कि संवैधानिक दृष्टिकोण से भी मजबूती हासिल की है।
सम्मेलन में उनके द्वारा सुनाए गए 50 महत्वपूर्ण फैसलों पर आधारित एक विशेष पुस्तक का विमोचन भी किया गया। यह पुस्तक न्यायपालिका के क्षेत्र में उनके योगदान का प्रतीक है।
बाबा साहेब को दी श्रद्धांजलि
मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद अपनी पहली महाराष्ट्र यात्रा के दौरान जस्टिस गवई ने मुंबई स्थित चैत्यभूमि में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक का दौरा किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “मैं बाबा साहेब के स्मारक पर उनके दिखाए मार्ग – स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा और एकता – को संरक्षित करने का संकल्प लेकर आया हूं।”
14 मई को संभाला कार्यभार
जस्टिस बीआर गवई ने 14 मई को भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है। उनका कार्यकाल छह महीनों का होगा और वे 23 दिसंबर को सेवानिवृत्त होंगे। वे नोटबंदी से जुड़े ऐतिहासिक फैसले, बुलडोजर कार्रवाई पर आदेश और इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय देने वाली पीठ का भी हिस्सा रह चुके हैं।