भारत आने वाले कुछ वर्षों में स्वदेशी लड़ाकू विमानों के निर्माण में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा। लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस के पूर्व प्रमुख डिजाइनर और कार्यक्रम निदेशक कोटा हरिनारायण ने यह विश्वास जताया है कि देश जल्द ही अपने सभी प्रकार के लड़ाकू विमान बनाएगा और उन्हें मित्र देशों को भी निर्यात करेगा।
पद्मश्री से सम्मानित 82 वर्षीय एयरोनॉटिकल वैज्ञानिक कोटा हरिनारायण ने बताया कि भारत में विमान निर्माण की पूरी प्रणाली तैयार हो चुकी है और तकनीक में काफी उन्नति हुई है। उन्होंने कहा कि तेजस विमान के लिए विकसित तकनीक अब छोटे, मध्यम आकार के और ड्रोन जैसे बिना पायलट वाले विमानों तक पहुंच चुकी है।
हरिनारायण ने यह भी बताया कि भारतीय वायु सेना में तेजस के व्यापक उपयोग ने साबित कर दिया है कि यह स्वदेशी विमान कितने महत्वपूर्ण और प्रभावी हैं। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने पाकिस्तान और पीओके में किए गए इस अभियान से अपनी रक्षा क्षमता का परिचय दिया है।
इसके साथ ही उन्होंने ओडिशा के गंजाम जिले के गोपालपुर में स्वदेशी ‘भार्गवास्त्र’ नामक प्रभावी एंटी-ड्रोन तकनीक के सफल परीक्षण की भी प्रशंसा की। उनका मानना है कि जल्द ही भारत रक्षा क्षेत्र में भी विदेशी देशों को अपनी तकनीक और उत्पाद निर्यात करेगा, जिससे देश की आत्मनिर्भरता और सुरक्षा दोनों मजबूत होंगी।