स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि ‘तुर्किए पाकिस्तान का सिर्फ रक्षा स्तर पर ही सहयोग नहीं कर रहा है, बल्कि यह वैचारिक स्तर का सहयोग है। तुर्किए पाकिस्तानी सेना के दुस्साहस को बढ़ाकर दक्षिण एशिया की स्थिरता को खतरे में डाल रहा है।’
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष के दौरान तुर्किए की सरकार ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया। इसे लेकर भारत में नाराजगी है। भारत में तुर्किए का विरोध शुरू हो गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोगी संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने तो तुर्किए पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर दी है। स्वदेशी जागरण मंच ने बुधवार को केंद्र सरकार से मांग की कि तुर्किए पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएं, कूटनीतिक संबंधों की समीक्षा की जाए, उसके साथ नागरिक उड़ानें बंद कर दी जाएं। इतना ही नहीं तुर्किए घूमने जाने वाले पर्यटकों को भी वहां न जाने की अपील की जाए।
‘तुर्किए का सहयोग सिर्फ रक्षा ही नहीं, वैचारिक भी’
स्वदेशी जागरण मंच ने देशवासियों से अपील की है कि वे देशहित में और देश के सैनिकों के साथ एकजुटता दिखाते हुए तुर्किए के उत्पादों का बहिष्कार करें। गौरतलब है कि भारत पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले संघर्ष के दौरान तुर्किए ने पाकिस्तान की मदद की और उसे ड्रोन्स मुहैया कराए। इन्हीं ड्रोन्स से पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की नाकाम कोशिश की। हालांकि तुर्किए ने ये स्वीकार नहीं किया है, लेकिन ड्रोन्स के मलबे से इसकी पुष्टि हो गई है।
स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने एक बयान जारी कर कहा कि ‘यह हैरान करने वाला है कि तुर्किए, जो पाकिस्तान को दूसरा सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है, उसने पाकिस्तानी नौसेना को आधुनिक बनाने और पाकिस्तान की हवाई हमले करने की क्षमताओं में इजाफा करने में अहम भूमिका निभाई है। यह सहयोग सिर्फ रक्षा स्तर पर नहीं है, बल्कि यह वैचारिक स्तर का सहयोग है। तुर्किए पाकिस्तानी सेना के दुस्साहस को बढ़ाकर दक्षिण एशिया की स्थिरता को खतरे में डाल रहा है।’
भारत की मदद भूला तुर्किए
स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि पाकिस्तान और तुर्किए का नापाक गठबंधन, देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। संगठन ने मांग की कि जब तक तुर्किए पाकिस्तान की हथियारों की सप्लाई नहीं रोकता है, तब तक वहां से आने वाले सामान जैसे मार्बल, केमिकल और मशीनरी पर भारी शुल्क लगाया जाए। तुर्किए जाने वाली सीधी उड़ानों को रद्द कर दिया जाए और एविएशन कोडशेयर विशेषाधिकार को भी हटा लेना चाहिए। साथ ही तुर्किए के साथ द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने की भी मांग की गई है। महाजन ने कहा कि जब तुर्किए में भूकंप से तबाही हुई थी तो भारत उन गिने चुने देशों में से था, जिन्होंने तुर्किए की मदद की थी। भारत ने अपनी एनडीआरएफ की टीमें, सेना की मेडिकल टीमें, फील्ड अस्पताल और 100 टन से ज्यादा कंबल, टेंट और जेनरेटर्स आदि की राहत सामग्री भेजी थी, लेकिन तुर्किए ने भारत की इस मदद को भुला दिया और भारत के दुश्मन पाकिस्तान का साथ देने का फैसला किया।