महिलाओं को कब मिलेंगे उनके अधिकार?

When will women get their rights?

रायपुर। हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, जो महिलाओं के अधिकारों, समानता और सशक्तिकरण की दिशा में किए गए प्रयासों को दर्शाता है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि महिलाओं को उनके पूरे अधिकार कब और कैसे मिलेंगे?

महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई सदियों से चल रही है। हालांकि, 19वीं और 20वीं शताब्दी में महिला आंदोलनों ने महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और समाज में भागीदारी के अवसर दिलाए, लेकिन अभी भी पूरी समानता का लक्ष्य अधूरा है।

आज भी महिलाओं के सामने कई चुनौतियां –

लैंगिक भेदभाव : पुरुषों की तुलना में कम वेतन और कम अवसर।

घरेलू हिंसा : आज भी कई महिलाएं उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं।

यौन उत्पीड़न : कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा चिंता का विषय है।

बाल विवाह और दहेज प्रथा : कई जगहों पर ये कुप्रथाएं अभी भी मौजूद हैं।

राजनीतिक भागीदारी : राजनीति में महिलाओं की संख्या अब भी बहुत कम है।

महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए जरूरी कदम –

शिक्षा और जागरूकता : हर लड़की को शिक्षित करना सबसे जरूरी है।

कानूनों का सख्ती से पालन : महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए कठोर कानूनों का सही क्रियान्वयन जरूरी है।

आर्थिक स्वतंत्रता : समान वेतन और रोजगार के अवसर मिलने चाहिए।

सामाजिक मानसिकता में बदलाव : महिलाओं की भूमिका सिर्फ घर तक सीमित नहीं होनी चाहिए।

परिवार और समाज का सहयोग : महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

रूना शर्मा का नजरिया –

कॉस्मेटोलॉजिस्ट, ब्यूटी एक्सपर्ट और एनिमल एक्टिविस्ट रूना शर्मा का कहना है, “महिला दिवस सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। महिलाओं के अधिकार तभी मिलेंगे जब समाज, सरकार और हर व्यक्ति मिलकर समानता के लिए कार्य करेगा। जब हर महिला खुद को सुरक्षित, स्वतंत्र और सशक्त महसूस करेगी, तभी महिला दिवस का असली उद्देश्य पूरा होगा।”

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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