छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बोरे-बासी महोत्सव के नाम पर एक बार फिर सरकारी सिस्टम की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। कुल 8.04 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए, वो भी बिना किसी टेंडर और कोटेशन के! महज 8 घंटे में एक कंपनी को वर्क ऑर्डर सौंप दिया गया, और फिर शुरू हुआ पैसों की बारिश का खेल।एक ट्रक फूल के दाम में उड़ाए 3 लाख!इस पूरे आयोजन में केवल फूलों पर ही 3 लाख रुपये खर्च कर दिए गए, जबकि बाजार मूल्य के अनुसार इतनी राशि में एक ट्रक फूल आ सकते थे। 44 हजार माला, 60 डेकोरेशन गेट, 425 माइक – सब कुछ बिना बाजार दर के मूल्यांकन के सीधे ऑर्डर में शामिल कर लिया गया।सवाल उठाता है वर्क ऑर्डर का समय21 अप्रैल को बनी समिति, 22 अप्रैल को दे दिया गया ऑर्डर – वो भी रात 11 बजे के बाद! आधिकारिक प्रक्रिया, टेंडर नियम और कोटेशन सबको ताक पर रख दिया गया। स्थानीय अधिकारियों का दावा है कि “ऊपरी निर्देश” पर यह सब हुआ।कागज़ में पकड़ी गई कमियांकमेटी में 10 अफसरों के दस्तखत, लेकिन फैसले का कोई रिकॉर्ड नहीं। भुगतान की पूरी प्रक्रिया केवल ऑर्डर और बिलों के आधार पर की गई। कई रसीदों पर तारीखें तक मेल नहीं खा रही हैं।अध्यक्ष बोले – ‘मुझे जैसा कहा गया, मैंने वैसा किया’समिति के अध्यक्ष अनिल कुजूर का बयान भी चौंकाने वाला रहा। उन्होंने कहा, “जो निर्देश ऊपर से मिले, मैंने वही किया। किसी का नाम नहीं ले सकता।” अब बड़ा सवाल ये है कि आखिर 8 करोड़ का वर्क ऑर्डर महज 8 घंटे में कैसे और क्यों पास किया गया?