“क्राइम के करोड़पति: इनोवा बेच नेपाल में चमके तोमर बंधु, अब पुलिस की बड़ी सिरदर्दी”

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक ऐसा आपराधिक सिंडिकेट सामने आया है, जिसने पुलिस और प्रशासन की नींद उड़ा दी है। वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर नाम के दो भाई—जो कभी आम कारोबारी दिखते थे—दरअसल करोड़ों के फाइनेंस फ्रॉड और अंतरराष्ट्रीय गाड़ी तस्करी के मास्टरमाइंड निकले। इनका मॉडल इतना शातिर है कि फिल्मी स्क्रिप्ट भी फीकी लगे।

🚘 शुरुआत हुई इनोवा से…

इन दोनों भाइयों ने अपना ‘धंधा’ बड़े प्लान से शुरू किया। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग बैंकों से अपने रिश्तेदारों के नाम पर 100 से ज्यादा इनोवा गाड़ियाँ फाइनेंस कराईं, जिनमें से ज़्यादातर रिश्तेदार यूपी और बिहार के रहने वाले थे।

गाड़ियाँ मिलते ही सीधा नेपाल रवाना। वहाँ इनोवा जैसी गाड़ियों की जबरदस्त डिमांड है। नकली दस्तावेज, बदला हुआ चेसिस नंबर और मोटा पैसा—बस यही था इनका फॉर्मूला।

🧾 किस्तें? भूल जाओ!

गाड़ियाँ फाइनेंस होने के बाद, किस्तें लौटाना तो इनका काम ही नहीं था। जैसे ही रिकवरी का वक्त आता, तोमर बंधु और उनके लोग गायब! कभी उत्तर प्रदेश, तो कभी बिहार। बैंकों को चूना लगाना जैसे इनका रोज़ का काम हो गया था।

सूत्र बताते हैं कि कुछ बैंक मैनेजर भी इस खेल में शामिल थे, जिन्हें मोटा कमीशन दिया जाता था।

🌐 नेपाल में था पूरा ‘मार्केटिंग नेटवर्क’

नेपाल में ये गाड़ियाँ किसी आम बाजार में नहीं बिकती थीं, बल्कि संगठित नेटवर्क द्वारा बेची जाती थीं। स्क्रैप डीलरों और फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए गाड़ियों को पूरी तरह ‘लीगल’ बना दिया जाता था।

एक बार इनोवा नेपाल पहुंच गई, तो फिर उसका कोई नामोनिशान नहीं मिलता था। इंटरनेशनल ऑटो-थेफ्ट रैकेट की तरह काम करने वाला यह सिस्टम इतना फुलप्रूफ था कि पुलिस की पकड़ में कुछ भी नहीं आता।

🚜 अब जेसीबी भी आई लाइन में

जब इनोवा वाला ‘बिजनेस मॉडल’ हिट हो गया, तो इन्होंने 50 से ज्यादा JCB मशीनें भी फाइनेंस कराईं और उन्हें दूसरे राज्यों में भेज दिया। अब इन मशीनों के नाम पर फाइनेंस कराने वाले लोग लापता हैं या छत्तीसगढ़ छोड़ चुके हैं।

इस नेटवर्क में परिवार के कई सदस्य भी एक्टिव हैं और उनके खिलाफ अलग-अलग थानों में FIR दर्ज हो चुकी है।

💰 ब्याज पर पैसा, चल रही थी मनी सर्कुलेशन स्कीम

गाड़ियों से कमाया गया पैसा कहीं रुकता नहीं था। 15-20% ब्याज दर पर यह पैसा दूसरे लोगों को उधार दिया जाता था। पुराना पैसा चुकाने के लिए नया निवेश आता था—एकदम चिटफंड स्कीम जैसा।

👮 पुलिस और प्रशासन की चुप्पी भी सवालों में

स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन की अनदेखी और मिलीभगत के कारण ये लोग सालों से खुलेआम घूमते रहे।

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